Why Bihar is Backward, Poor & Undeveloped State [ Case Study ] in Hindi By Nishant Chandravanshi
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1. Trailer
- 1950 में बिहार का Per capita income – RS 204 था और भारत का – RS 265 अब 2019 में बिहार का Per capita income Rs 43,822 है और भारत का Rs 1,26,406
- पूछत्ता है बिहार जब 1950 में Per capita Income लगभग बराबर था अब भारत का Per capita Income हम से तीन गुना ज्यादा कैसे ?
- बिहार ने विश्व का पहला यूनिवर्सिटी नालंदा यूनिवर्सिटी दिया | बिहार ने महान गणितज्ञ आर्यभट्ट दिया | वही जिसने दुनिया को जीरो दिया | और जीरो न होता तो चाँद पर जाना भी एक सपना ही रहता |
पूछता है बिहार – पिछले २० साल से 60 % स्टूडेंट हर साल क्यों फ़ैल हो जाते है ?
2. Bihar Population
बिहार की जनसंख्या
- जनसंख्या के हिसाब से बिहार तीसरा नंबर पर आता है और अगर क्षेत्र की बाते के तो बिहार 12 नंबर पर आता है |
- बिहार का जनसंख्या 2001 में 8.30 करोड़ था और Latest जनगणना 2011 में 10.41 करोड़ बढ़ कर हो गया यानि की 25% बढ़ी |
- वही पंजाब 2001 में 2.45 करोड़ था और 2011 में 2.8 करोड़ यानि की 13.89% बढ़ी |
पूछता है बिहार – जनसँख्या पर रोकथाम कब लगेगी ?
2. Bihar Education System since independence
आजादी के बाद से बिहार शिक्षा प्रणाली
- Literacy Rate देखे तो बिहार यहां भी Performance खराब दे रहा है| इतना खराब की बिहार नीचे से पहला स्थान पर हैं |
History of Bihar Literacy Rate
बिहार साक्षरता दर का इतिहास
- बिहार का Literacy Rate 1951 में 13.49 था और 2001 सेन्सस की रिपोर्ट में 47.53 Literacy Rate था | लेटेस्ट 2011 की रिपोर्ट देखे तो अब 61.8 हैं |
- उसमें से पुरुष साक्षरता 71.20 प्रतिशत है जबकि महिला साक्षरता 51.50 प्रतिशत है। पूछता है बिहार – kerala literacy rate 93.91 है तो हमारा 61.8 क्यों ?
History of Bihar Education System
Patna Daily के मुताबिक बिहार शिक्षा में आधी सदी मतलब 50 साल तक का जश्न मनाता रहा है| मतलब 1967 to 2017 तक एजुकेशन के क्षेत्र में सरकार ने लगभग कुछ नया नहीं किया |
1967 में एक शक्तिशाली शिक्षा मंत्री, कर्पूरी ठाकुर ने पहली बार एक PWE Theory शुरू की, जिसके तहत एक छात्र को हाई स्कूल से कॉलेज में Promted किया गया था, भले ही वह अंग्रेजी में असफल रहा हो। PEW means Pass without english
अंग्रेजी के बिना पास छात्रों की मानो तो बाढ़ आ गए थी और उनको दाखिला लेने के लिए पर्याप्त कॉलेज नहीं थे। जहा कॉलेज में 40 सीट्स थी वह 400 लोग एडमिशन करने पाहुहक गए |
Patna Daily के मुताबिक सभी दलों के नौकरशाह कॉलेज खोलने के काम पर लग गए| नया कॉलेज तो खुल गया मगर इन कॉलेजों को विश्वविद्यालय affiliation को सुरक्षित रखने के लिए संतोषजनक परिणाम दिखाना था और चूंकि PWE के छात्रों को निश्चित रूप से अंक तक नहीं दिया गया था, इसलिए कॉलेज के प्रतिष्ठानों ने परीक्षा में धोखाधड़ी, चोरी, नक़ल या सामूहिक नकल करने के लिए गोपनीयता, सुरक्षा और प्रोत्साहन प्रदान किया।
किसी भी तरह 1975 में जगन्नाथ मिश्रा सरकार द्वारा अंग्रेजी अनिवार्य कर दी गई मगर ये भी कुछ नेताओ को देखा नहीं गया |
1981 में, देश ने 10 plus 2 system अपनाने के साथ English ‘पढ़ें लेकिन पास होने की आवश्यकता नहीं है’।
वही देश की दूसरे राज्य के स्कूल में इंग्लिश मध्यम हो गया |
मान लेते है आप इंग्लिश छोर कर सभी जिझो में विद्वान हो मगर जब आप इंटरव्यू के लिए जाते हो तो वह हर सवाल इंग्लिश में पूछे जाते है | दसूरी बात मान लेते है आप साइंटिस्ट बन गए मगर रिसर्च सेण्टर का एनवायरनमेंट तो पूरी तरह इंग्लिश है | हर एक सॉफ्टवेयर इंग्लिश में है | इंसान को समय के हिसाब से बदलना चाहिए |
हिंदी के अलावा हमारे पास एक और भाषा हो जाती जैसे दूसरे राज्यों के पास है | दुनिया में कोई भी भाषा बुरी नहीं होती
पूछता है बिहार – एजुकेशन सिस्टम समय के साथ क्यों नहीं चला ?
Bihar Current Education Statistics
बिहार वर्तमान शिक्षा सांख्यिकी
भारतीय सेन्सस के मुताबिक
- बिहार के 64% लोग साक्षर हैं यानि की बिहार में अधिक कम पढ़े लिखे लोग हैं देश के अन्य राज्यों से तुलना में| यानी नीचे से पहला स्थान पर है बिहार |
- प्राथमिक विद्यालय में 37.3% शिक्षक कम हैं यानि की 2,78,602 शिक्षकों की कमी हैं यानि की बिहार में प्राथमिक विद्यालय में 746,479 शिक्षक होने चाहिए|
- बिहार आर्थिक सर्वेक्षण के मुताबिक 2015 के अनुसार 62% प्राथमिक छात्र शिक्षा पूरी नहीं करते हैं|
- 2003 में 39% शिक्षक अनुपस्थिति थे | २०१० में 28% शिक्षक अनुपस्थिति थे | तो आप इससे अनुमान लगा सकते है की 1990s में कितना होगा ?
- 2013 में बिहार के केवल 58% स्कूलों में लड़कियों के लिए अलग शौचालय हैं aur पीने का पानी केवल 88% स्कूलों में उपलब्ध था
पूछता है बिहार – एजुकेशन सिस्टम कब ठीक होगी ?
3. Bihar Unemployment
बिहार बेरोजगारी
- business today के मुताबिक बेरोजगारी सर्वेक्षण में बिहार 7 वें स्थान पर आता है|
Bihar Industrial History
- 1950 तक भारत का 25% चीनी उत्पादन बिहार से था| बिहार में 28 चीनी मिलें थीं और जिसमें से 17 बंद हो चुकी है|
- 50% बागवानी उत्पादों का उत्पादन यहाँ किया गया था।
1980 से 1990 के भारत के सरकारी आंकड़े भी बताते हैं कि अविभाजित बिहार का जीएसडीपी राज्य की सामाजिक-आर्थिक समस्याओं के बावजूद इस अवधि में 72% बढ़ा था |
पूछता है बिहार – इंडस्ट्री कब आएगी ?
History of Bihar Economic Growth Rate
बिहार आर्थिक विकास दर का इतिहास
- Bihar 80s में 2.45% से बढ़ रहा था वही भारत 3.32% से |
- Bihar 90s में 0.12% से बढ़ रहा था वही भारत 4.08%|
1990 से 2005 के बीच बिहार में मंदी थी यानि की 15 साल बिहार का विकास रुक गया था । लेकिन 2004 से 2014 के बीच, बिहार भारत में सबसे तेजी से बढ़ते राज्य के रूप में उभरा, पिछले एक दशक में 10 प्रतिशत से अधिक वार्षिक विकास हुआ
पूछता है बिहार – ऐसे 1990s के दशक में क्या हुआ था ?
Bihar Agriculture
कृषि बिहार की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है|
- राज्य के घरेलू उत्पाद का लगभग 24.84% उत्पादन बिहार करता हैं ।
- बिहार में agriculture production system में 56% बिहार की जनता काम करती हैं | जो राष्ट्रीय औसत से बहुत अधिक है।
2011 में 77% बिहार की जनता खेतों में काम करती थी जिससे 24.84% GDP जनरेट हुआ था |
2011 में ये घट कर 56% जनता खेतों में काम करती है और जिसके कारन GDP भी 20% काम Genarate हुए है |
इसका मतलब साफ़ है किसान खेती छोड़ कर दूसरे राज्यों में पलायन हो रहे है|
पूछता है बिहार – किसान कहा गये ?
History of Bihar Agriculture growth rate
बिहार कृषि विकास दर का इतिहास
- Bihar Agriculture 1980s में 2.21% से बढ़ रहा था वही भारत 3.32% से |
- Bihar Agriculture 90s में 2.35% से बढ़ रहा था वही भारत 3.14%
1990 और 2005 के बीच, पिछली सरकार ने 25,000 करोड़ रुपये से कम खर्च किए होंगे
पूछता है बिहार – कृष राज्य होने के वजूद बिहार खेती में पीछे क्यों ?
4.Bihar Per Capita Income
बिहार प्रति व्यक्ति आय
- बिहार 33 पर पर खड़ा है मतलब नीचे से पहला स्थान पर है |
- Bihar का 1990 में Per Capita Income Rs 3,037 था , पंजाब का RS 3730 और भारत का RS 27,850 था |
- Bihar का 2018 में Per Capita Income 43,822 है , पंजाब का RS 154,996 और भारत का RS 1,26,406 था |
पूछता है बिहार – प्रति व्यक्ति आय सबसे कम क्यों है ?
5. Bihar Poverty
बिहार गरीबी
बिहार भारत का सबसे गरीब और सबसे पिछड़ा राज्य है
- यह 36 मिलियन गरीब का घर है
- बिहार का Growth सरकारी जॉब के इनकम से ज्यादा आता हैं | दूसरी तरफ कृषि उत्पादन भी है मगर मौसम के उतार-चढ़ाव इसे जोखिम में कभी भी डाल देता हैं
पूछता है बिहार – गरीबी कब जाएगी ?
6.Bihar Health
बिहार स्वास्थ्य
- Health की बात करे तो बिहार नीचे से दूसरे स्थान पर आता है जो की बहुत ही ख़राब हैं|
- प्रति व्यक्ति प्रति वर्ष स्वास्थ्य पर bihar RS 348 खर्च करता है वही भारत 724 खर्च करता हैं |
- स्वास्थ्य बीमा द्वारा कवर की गई जनसंख्या बिहार में मात्र 6.2% है वही भारत 15.2% लोगो को कवर कर चुकी है |
बिहार का टॉप हॉस्पिटल का Condition देखिये
Youtube Link
- बिहार में, एक सरकारी डॉक्टर 28,391 लोगों की सेवा करता है। प्रति डॉक्टर 19,962 मरीजों के साथ उत्तर प्रदेश दूसरे स्थान पर है|
- आपको बता दू की जो स्टैण्डर्ड होना किये वो है 1:1,000
पूछता है बिहार – हेल्थ सिस्टम कब ठीक होगा या युही लोग मरते रहेंगे?
7.Central Politics in Bihar – The freight Equalization Policy
बिहार में केंद्रीय राजनीति
- ये नीति 1952 में शुरू की गई थी, और 1993 तक लागू रही थी |
- इस नीति में ये थी की आप बिहार से मैटेरियल्स ले कर आपने राज्य में जा कर उससे कोई भी प्रोडक्ट बना सकते थे | दूसरे राज्य में था की आप को वही पर फैक्ट्री खोलने पड़ती थी | यही कारन है बिहार में कोई इंडस्ट्री नहीं बना |
- इस नीति के पीड़ित राज्य थे – पश्चिम बंगाल, बिहार (वर्तमान झारखंड सहित), मध्य प्रदेश (वर्तमान छत्तीसगढ़ सहित) और ओडिशा राज्य|
- आज़ादी के पहले ऐसा नहीं था, जब टाटा और डालमिया जैसे प्रमुख व्यापारिक घरानों ने बिहार में उद्योग स्थापित किए थे।
- 1990 के दशक की शुरुआत में नीति को हटाने के बाद भी, ये राज्य अधिक औद्योगिक राज्यों के साथ पकड़ नहीं बना सके
- बिहार सरकार ने बाढ़ से हुए नुकसान की 4,000 करोड़ रुपये भारत सरकार से माँगा था ।
- एक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, कर्नाटक को 1,869.85 करोड़ रुपये मिले। जबकि मध्य प्रदेश को 1,749.73 करोड़ रुपये और महाराष्ट्र को र 1,500 करोड़ रुपये मिले। बिहार को बस Rs 400 crore
पूछता है बिहार – भारत सरकार चाहे कांग्रेस हो या बीजेपी कब तक सौतेलापन करेगी ?
8.Bihar State Politics
बिहार राज्य की राजनीति
- बिहार के 70 वर्षों के इतिहास में 23 अलग-अलग मुख्यमंत्री रहे हैं।
- बिहार के केवल 6 मुख्यमंत्री हैं जो 4 साल से अधिक समय तक इस पद पर रहे|
- बिहार के औसतन मुख्यमंत्री का कार्यकाल 1.5 वर्ष है। वास्तव में कई लोग कुछ महीनों तक ही पद पर रहे।
- बिहार के 70 वर्षों के इतिहास में 40 राज्यपाल रहे हैं।
The first booth capturing in India
भारत में बूथ कैप्चरिंग का पहला उदाहरण 1957 में बेगूसराय जिले के रचियाही में आम चुनावों में दर्ज किया गया था।
पूछता है बिहार – कब तक हम राजनीति के कठपुतली बनाए रहेंगे ?
9.Bihar Geographical Disadvantage
बिहार भौगोलिक नुकसान
- बिहार एक भूमि-बंद राज्य है, जिसका अर्थ है कि यह पूर्व में पश्चिम बंगाल, पश्चिम में उत्तर प्रदेश, उत्तर में नेपाल और दक्षिण में झारखंड राज्य से घिरा हुआ है।
- कोई Direct अंतर्राष्ट्रीय तटीय कनेक्शन नहीं| कोई अंतर्राष्ट्रीय निर्यात और आयात नहीं|
- उत्तर बिहार में 76% आबादी बाढ़ की तबाही के खतरे में अपना जीवन रोज बिताती है।
- बिहार का 73.06% भौगोलिक क्षेत्र बाढ़ प्रभावित है|
- Bihar में 21 नदियाँ है जिसमें गंगा और कोसी मुख्य नदियाँ हैं जो बाढ़ लती हैं
Illegal sand mining is Dangerous to the environment of Bihar.
अवैध रेत खनन बिहार के पर्यावरण के लिए खतरनाक है|
- पश्चिम चंपारण जिला हर साल बाढ़ के लिए सबसे ज्यादा चर्चा में रहती है लेकिन अब ये illegal रेत खनन के कारन असमय बाढ़ आती रहती है |
- बिहार की नदियों में अवैध रेत खनन से राज्य सरकार का हर साल 600 से 700 करोड़ रुपये तक का घाटा उठाना पड़ता हैं |
- 2017 में बिहार सरकार ने खनन कार्यों पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है | मगर दूसरी तरफ देखे तो इसमें इससे से मनरेगा श्रमिक काम करते है अब वो बेरोजगार हैं ।
- इसने प्रधान मंत्री आवास योजना जैसी विकास परियोजनाओं को भी ठप कर दिया।
पूछता है बिहार – सब कुछ बंद करने से सुधर जायेगा या फिर कुछ नया कदम उठाया जायेगा ?
10. Bihar labour Migrate
बिहार श्रम पलायन
- 2009 के एक अध्ययन में पाया गया कि नौकरियों की तलाश में हर साल 4.4 मिलियन से अधिक लोग पलायन करते हैं।
- लेकिन 2012 में श्रम विभाग के आंकड़ों से पता चला है कि 2008 और 2012 के बीच प्रवासन में 35-40% की गिरावट आई है, क्योंकि राज्य में कई नौकरियां मिली हैं।
- फिर भी देखा जाए तो दूसरे राज्य के तुलना में तो बिहार में अभी भी जयादा पलायन हो रहा है
पूछता है बिहार – कब तक पलायन करना पड़ेगा ?
11 Bihar Crime
बिहार अपराध
- Doctor manmohan singh ने economic reforms 1991 थ्योरी लाया था और उसी थ्योरी के कारन आज भारत सबसे आगे देशो में गिनती होती है |
- 1990s जब दूसरे राज्य इंडस्ट्री और कारखाने खोल रहे थे बिहार में जातिवाद की दुकान खुल रही थी| ऐसा नहीं है की जाती भेदभाव सिर्फ बिहार में हो रहा था | भारत के अन्य राज्यों में भी भेदभाव था मगर वो लोग सही समय पर 1991 में इंडस्ट्री पर धयान दिया | अगर बिहार सोता ही रहा जातिवाद के नशे में|
- 1990s में बिहार में क्राइम बढ़ने लगा| छोटी जाति का नक्सली और कभी उच्च जाति का नक्सली क्राइम का चरम छूने लगे|
- मेरी हिसाब से गलती दोनों की है लेकिंग ये दूसरी बात है शुरुवात किसी और ने की थी | मगर जो गलत है तो सो गलत है | अगर एक अपराध करता है तो दूसरे भी करे ये गलत हैं | और यही संबिधान भी कहता है | आप किसी चीझ का विरोध शांतिपूरवक भी कर सकते है |
Bihar Crime History
बिहार क्राइम हिस्ट्री
- 21 september 1991 का दिन था | उस दिन बड़ी जाती के नक्सलियों ने मिल कर जहानाबाद में छोटी जातियों के 7 लोग को मर दिया | उसके दिन दिन बाद पलाईगंज में 7 दलितों को मार दिया गया |
- Bara massacre – 12-13 फरवरी 1992 की मध्यरात्रि में, भारत के माओवादी कम्युनिस्ट सेंटर ने बिहार के गया जिले के पास बारा गाँव में 40 भूमिहारों को बेरहमी से मार डाला।
- Bathani Tola massacre – 11 जुलाई 1996 का बथानी टोला नरसंहार जिसमें को भारत के बिहार राज्य में एक उच्च जाति के मिलिशिया ने महिलाओं और बच्चों सहित 21 दलितों की हत्या कर दी थी।
- Laxmanpur Bathe massacre – बिहार के लक्ष्मणपुर बाथे गाँव में किया गया एक नरसंहार था, जहाँ बारा नरसंहार के प्रतिशोध में रणवीर सेना के सदस्यों द्वारा 58 दलितों की कथित रूप से हत्या कर दी गई थी|
- हैबसपुर नरसंहार कांड – घटना 23 मार्च 1997 को रनिया तालाब थाना क्षेत्र में हुई थी जिसमें 10 दलितों की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।
- Raghopur massacre – 21 अप्रैल, 1997 की रात को, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) पार्टी यूनिटी के एक सशस्त्र दस्ते ने गाँव में प्रवेश किया और भूमिहार जाति के लोगों को पहचानने के बाद चुनिंदा 6 पुरुषों की हत्या कर दी।
जिसके कारण 1990 और 1995 के बीच एक गंभीर मंदी आई, जिसके परिणामस्वरूप 1990 से 2004 के बीच रोजगार-विकास-अपराध संकट पैदा हो गया|
- और ऐसा नहीं है की सिर्फ 90s के दशक में क्राइम ज्यादा था| बिहार में 2013 में 3,441 हत्या के मामले, भारत के कुल हत्या के 10% मामले सामने आए।
पूछता है बिहार – जातिवाद की राजनीति कब खत्म होगा ?
Devide & Rule
अविभाजित बिहार सरकार ने दक्षिण में बोकारो, जमशेदपुर, धनबाद और रांची जैसे महत्वपूर्ण औद्योगिक शहरों का विकास किया। उत्तर अविभाजित राज्य का कृषि हृदय रहा
11.Bihar Scams History
बिहार घोटाला इतिहास
- Alktra ghotala 1990s – 1994 से 1996 के बीच हुए अलकतरा घोटाले जिसमे 1.57 करोड़ का घोटाला किया था |
- Chara Ghotala 1996 – जिसमे 950 करोड़ रुपये का चारा घोटाला|
- garbhashay ghotala 2012 – 702 महिला पीड़ितों ने 2012 में 300000 पाने के लिए कुछ लोगो ने फुसला कर औरतो का गर्भ को हटाया| lallantop के मुताबिक 5500 महिलाओं के गर्भाशय का ऑपरेशन किया गया है |
- Srijan ghotala 2017 – जिसमे 15 करोड़ का घोटाला किया था |
- Inter topper scam 2016 – स्टूडेंट बुनियादी सवालों के जवाब देने में असमर्थ थे
पूछता है बिहार – कब तक एक घोटाला होते रहेंगी ?
12.Bihar Future Plan
- बिहार की शिशु मृत्यु दर infant mortality rate 62 प्रति 1000 है, जो कि राष्ट्रीय औसत 66 प्रति 1000 से नीचे है।
- लेकिन दिलचस्प यह है कि यह न केवल यूपी (83) और उड़ीसा (91) जैसे राज्यों से बेहतर है, बल्कि AP और हरियाणा जैसे राज्यों (66 दोनों) से भी बेहतर है|
- life expectancy – जीवन प्रत्याशा – औसत बिहारी पुरुष औसत भारतीय पुरुष (62.4 वर्ष) की तुलना में एक वर्ष अधिक (63.6 वर्ष) रहता है।
- बिहार में इस श्रेणी में 58% के साथ, 25 वर्ष से कम आयु के लोगों में भारत की सबसे बड़ी एकाग्रता है। यह इस सदी में भी इस स्थिति को बनाए रखेगा
मधुबनी अपने मिथिला चित्रों के लिए प्रसिद्ध है। अगर कलाकारों के प्रशिक्षण के लिए और बाहरी दुनिया में उनके चित्रों के व्यावसायिक विपणन की सुविधा के लिए एक समर्पित स्कूल खोला जाता है, तो हजारों महिलाएं अपने कौशल को निखार सकती हैं और अपने लिए बेहतर जीवन जी सकती हैं।
मधुबनी में सीता और राम से जुड़ी कई ऐतिहासिक जगहें हैं जिन्हें पर्यटक सर्किट के रूप में विकसित किया जा सकता है। ये स्थानीय क्षमता विकसित करने के प्रतिनिधित्व उदाहरण हैं जो बाहरी प्रवासन को काफी हद तक रोक सकते हैं।
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पूछता है बिहार – क्या बिहार को आगे बढ़ना चाहिए या नहीं ?
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