Today, I am going to tell about Chandravanshi Rawani Kshatriya & Chandravanshi samaj History (Itihas). Chandravanshi is also known as the Lunar dynasty.
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Written by Deepa Chandravanshi 🙂
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चंद्रवंशी समाज क्या है?
चंद्रवंशी समाज (Chandravanshi Samaj) भारतवर्ष के प्राचीनतम द्वापर मानवकाल के क्षत्रिय समाजों में से एक है। चन्द्रवंशी एक प्रकार के चंद्रवंशी क्षत्रिये होते है और ये मगध सम्राट “महराज जरासंध” (Maharaj Jarasandh) के वंशज है| महाराजा जरासंध चन्द्रवंश क्षत्रिय वंश (Lunar dynasty ) के अंतिम चक्रवर्ती सम्राट थे।
क्या चंद्रवंशी राजपूत होते हैं? kya chandravanshi Rajput hote hain ?
चंद्रवंशी और सूर्यवंशी दोनों राजपूत होते हैं। चंद्रवंशी– क्षत्रिय का उपखण्ड हैं ठीक उसी तरह जैसे सूर्यवंशी क्षत्रिय का उपखण्ड हैं। राजा मनु के नौ पुत्र में से एक पुत्र ने सूर्यवंशी की शुरुवात की। मनु की बेटी इला का विवाह बुध से हुआ और उस दोनों के पुत्र चंद्रमा ने चन्द्रवंश (Lunar dynasty ) का प्रारंभ किया। इतिहास देखा जाए तो राजपूत- क्षत्रिय का उपखण्ड हैं । क्षत्रिय के निचे राजपूत, सूर्यवंशी, चंद्रवंशी के अलावा और भी बहुत वंश और जाति हैं।
महाराज जरासंध (Jarasandha) एक बुद्धिमान, निडर और न्यायप्रिय राजा थे। वो अपने प्रजा को न्याय करने के साथ साथ उन्हें गलत और सही का भेद भी बताते थे।
घर घरजा कर अनाथ बच्चो और गरीबो को सेवा करना उनका प्रथम कार्य था | असहाय का सहारा बनते थे और उनके समाज में कोई भूखा नहीं सोता था |
चंद्रवंशी किसे कहते है (चंद्रवंश) ?
चंद्रवंशी (Lunar dynasty)वंश उन तीन वंशों में से एक है, जिनमें हिंदू की क्षत्रिय जाति विभाजित है, अन्य दो सूर्यवंशी और अग्निवंशी हैं, जो अग्नि से उतरी हैं। महाभारत के अनुसार, चंद्रवंश (चंद्र वंश) या हिंदू चंद्रमा देवता, चंद्र से खून का रिश्ता है। चंद्र राजवंश को सोमवंशी या चंद्रवंशी वंश के रूप में भी जाना जाता है।
इतिहासकार सी.वी.वैद्य के अनुसार, चंद्रवंशी वे थे, जिन्होंने चंद्र की चालों के आधार पर वर्ण और काल की गणना की प्रणाली को अपनाया। चंद्रवंशी चंद्र कैलेंडर का अनुसरण करते हैं। ये क्षत्रिय हैं जो जरासंध के वंशज हैं और भगवान कृष्ण का जन्म यादव वंश (यदुवंश) में हुआ। यदुवंशी के पूर्वज चंद्रवंशी(Lunar dynasty ) थे।
(Yaduvansh) यदुवंशी वंश (यादव / अहीर )- चंद्रवंशी वंश (Lunar dynasty ) का उप भाग है और वे दावा करते हैं कि वे हैं भगवान कृष्ण के वंश। एक तरह से देखा जाए तो यादव वंश जो है वो चन्द्रवंश से ही निकला हैं। चंदेला भी (chandravanshi kshatriya ) चंद्रवंशी क्षत्रिये होते हैं। चंदेला के पूर्वज प्रसिद्ध खजुराहो का निर्माण किया । जडेजा और भाटी भी चंद्रवंशी हैं।
Jarasandha Kaun tha? महाभारत में जरासंध कौन था?
हिंदू पौराणिक महाकाव्य महाभारत ग्रन्थ के मुताबिक, महाराजा जरासंध भारत का एक बहुत शक्तिशाली राजा था । महाराजा बनने के पहले वे एक महान सेनापति भी थे। उन्हें मगध सम्राट जरासंध के रूप में भी पुरे संसार में जाना जाता था। चंद्रवंशी क्षत्रिय (chandravanshi kshatriya caste) उनकी पूजा करते थे, हैं और उन्हें भारत के कुछ प्रान्त में चंद्रवंशी रवानी क्षत्रिय ( Chandravanshi Rawani kshtriya ) के रूप में भी बुलाते थे।
महराज जरासंध (Chandravanshi Jarasandha) समुज्ज्वल चरित्र वाले व्यक्ति थे और निष्काम धर्मात्माभी थे।
jarasandha Kaun tha
https://www.youtube.com/watch?v=WLNxZ0HHc84
बिहार, झारखंड और हिंदुस्तान के अन्य प्रांतों में भी रवानी क्षत्रिय (Rawani Kshtriya ) या रमानी क्षत्रिय (Ramani Kshatriya ) पाए जाते हैं|
जरासंध की समय की बात करे तो उस समय भारत का नाम मगध (Magadha) हुआ करता था| मगध प्राचीन भारत के 16 महाजनपदों में से एक और जिसमे आधुनिक पटना, पुराना पटना और गया जिले भी शामिल थे। वह मगध के बारहद्रथ वंश के संस्थापक महान राजा बृहद्रथ के वंशज भी थे।
List of Chandravanshi kings in hindi (Rajput)
- यदु
- तुर्वसु
- द्रुह्यु
- अनु
- पुरु
राजा मनु के बाद बहुत सारे पीढ़ी आये और उसमे ययाति बहुत शक्तिशाली, बहुदूर और विजेता चंद्रवंशी राजा (King सम्राट्) हुआ। ययाति के पाँच पुत्र थे – यदु, तुर्वसु, द्रुह्यु, अनु और पुरु। ययाति के पाँचों पुत्र ने अपने अपने वंश चलाए और सभी वंशजों ने अपना वर्चस्व बनाया। ऋग्वेद में भी पाया गया है की ये ही पाँच वंश आगे चल कर यादव, तुर्वसु, द्रुह्यु, आनव और पौरव बने।
Chandravanshi Dynasty History in Hindi
राजा मनु भारत के आर्यों के प्रथम शासक थे। महाराजा मनु के नौ पुत्र और एक कन्या थे और उस नौ पुत्रों में से एक ने सूर्यवंशी क्षत्रियों की शुरुवात की। मनु की बेटी नाम इला था। इला का विवाह बुध से हुआ। इला और बुध से एक पुत्र हुआ और उसका नाम चंद्रमा रखा गया और उसी से चन्द्रवंश (Lunar dynasty)प्रारंभ हुआ।
भीम ने जरासंध का वध कैसे किया था ? Jarasandha ka vadh
मगध सम्राट जरासंध (Jarasandha) अमर अजय बनाना चाहते थे और ये सपना पूरा करने के लिए लिए उसने बहुत से राजाओं को हरा कर अपने कारागार में बंदी बना लिया था |
मगध सम्राट जरासंध मथुरा के यदुवँशी नरेश कंस का ससुर एवं परम मित्र था | कंस – भगवान कृष्ण के मामा थे | जरासंध अपने दोनो पुत्रियो (Daughters) आसित और प्रापित का विवाह राजा कंस से किया।
श्रीकृष्ण (Lord Krishna) ने कंस का वध किया था और इसी वध का प्रतिशोध लेने के लिए जरासंध ने १७ बार मथुरा पर चढ़ाई की लेकिन हर बार उसे असफल होना पड़ा। जरासंध ने श्री कृष्ण को अपना परम शत्रु मान रखा था | .
चलिए मैं आपको बिसतार से बताता हूँ | जरासंध बड़ी संख्या में राजाओं के साथ युद्ध किया और उन सभी राजाओ को अपने अधीन कर लिया था और उन्हें कैदी बनाया था। जब उन्होंने एक सौ राजाओं को जीत लिया था, तो उसने कहा गया भगवान शिव के लिए उन्हें बलिदान करने के लिए, और इस तरह युद्ध में अजय हो जायेंगे।
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ये बात भगवन कृष्ण और पांडवो को चुभने लगा और फिर चंद्रवंशी महाराज जरासंध और भीम में युद्ध हुआ| ये बात पूरी संसार को पता था की महराज जरासंध को हराना मुमकिन ही नहीं नामुमकिन है और जरासंध कई गुना भीम से शक्तिशाली थे |
फिर भगवान कृष्ण ने संकेत दिया भीम को और भीम इस संकेत को समझ गए। उसने जरासंध को पकड़ लिया लेकिन इस बार धोखे से । भीम ने दो टुकड़ों को ऐसे फेंक दिया कि वे विपरीत दिशाओं में चले गए और फिर कभी जुड़ ना सके।
दो टुकड़े एकजुट नहीं हो सके और जरासंध का वध हो गया। देखा जाए तो ये एक तरह छल और कपट से चंद्रवंशी महराज जरसंध का वध किया गया धोखे से |
Chandravanshi kaun Hai? चंद्रवंशी कौन सी जाति होती है?
चंद्रवंशी जाति “चंद्रमा के वंश (Lunar dynasty )या चंद्रवंश समाज ” से संबंधित लोग को कहा जाता हैं। हिंदू महाकाव्य महाभारत ग्रन्थ के अनुसार, चंद्रवंशियों को हिंदू चंद्रमा भगवान चंद्र से सम्भोदित किया जाता है। बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल और मध्य प्रदेश के हिस्सों में बड़ी मात्रा में चंद्रवंशी समाज (Chandravanshi Samaj), रवानी चंद्रवंशी (Rawani Chandravanshi), और चंद्रवंशी ( Chandravanshi) पाए जाते हैं।
भगवान कृष्ण और पांडवो भी चंद्रवंशी थे लेकिन कर्ण सूर्यवंशी था| महाभारत के ज्यादा तर राजा चंद्रवंशी क्षत्रिये ही थे इसलिए कहा जाता है की महभारत चंद्रवंशी राजाओ (Chandravanshi Rraja ) की कहानी है |
जरासंध का पुत्र कौन था? Jarasandha Ka Putra Kaun tha?
जरासंध की दो बेटियां और एक बेटा था। बेटियों के नाम अस्ति और प्राप्ति हैं और दोनों का विवाह कंस (कृष्ण के मामा) के साथ हुआ था। पुत्र का नाम सहदेव (Sahadeva) था, जो जरासंध के मरने के बाद पांडवों के द्वारा मगध के सिंहासन पर बैठाया गया|
जरासंध की पुत्री का क्या नाम था?
जरासंध (Jarsandha) की दो बेटियाँ थीं और अस्ति (Asti) और प्राप्ति (Praapti)। उन दोनों की शादी कृष्ण के मामा कंस से हुए थी। कंस के वध के बाद अस्ती और प्रप्ती अपने पिता जरासंध के घर रहने लगी| कंस का वध भगवान् कृष्णा ने किया था|
Jarasandha Ki wife ka naam kya tha ? जरासंध की पत्नी कौन थी?
जरासंध (Jarasandha) की तो ऐसे कई पत्नियां थीं मगर मुख्य पत्नियाँ कासी (वाराणसी) की जुड़वां राजकुमारी थीं, जिनसे उनकी 2 बेटियाँ अस्ती (Asti) और प्राप्ति (Praapti) हुई थीं। उन 2 बेटियों का विवाह मथुरा के राजा कंस से हुआ था, जो कृष्ण के मामा थे।
जरासंध का दामाद कौन था? Jarasandha ka Son in Law kaun tha?
जरासंध (Jarasandha) का दामाद का नाम कंस (Kams) था। कंस भगवान कृष्ण के मामा (मामा) थे। कंस ने जरासंध की जुड़वां बेटियों से शादी की। जरासंध की पुत्री अस्ती (Asti) और प्राप्ति (Praapti) थीं।
(Chandravanshi) चंद्रवंशी राजा जरासंध का वध किसने किया?
भीम ने मारा परन्तु इस संसार में महाराज जरासंध को कोई हरा नहीं सकता था और महाराज जरासंध को बस अजय अमर बनाना था और ये चीझ भगवन कृष्णा और पांडवो नहीं चाहते थे और इस कारण जरासंध के बीच भयंकर युद्ध हुआ।
जरासंध, भीम से अधिक शक्तिशाली था और भीष्म के लिए जरासंध को हराना बहुत कठिन था। भगवन कृष्ण भीम को संकेत दिया कि -जरासंध थक चुका हैं| भीम ने अपने शत्रु को चंद्रवंशी महाराज जरासंध (Chandravanshi Jarasandh) को अपने सिर के ऊपर उठा लिया और उन्हें दो टुकड़ों में बाँट दिया।
भीम ने दो टुकड़ों को ऐसे फेंक दिया जिससे वे विपरीत दिशाओं में चले गए। दो टुकड़े एकजुट नहीं हो सके और चंद्रवंशी राजा जरासंध (Chandravanshi Samarat Jarasandha) का वध हो गया।
https://www.youtube.com/watch?v=AV3OR9eqw7o
Chandravanshi Rawani kshatriya ka itihas
चंद्रवंश (chandravanshi) Lunar dynasty प्रमुख प्राचीन भारतीय शौर्यपुराम क्षत्रियकुल में आता हैं । प्राचीन इतिहास और वेद से ज्ञात होता है कि आर्यों के प्रथम शासक (महाराजा ) वैवस्वत मनु ही थे । मनु के नौ पुत्रों और एक कन्या भी थी| कन्या का नाम इला था |बुध और इला की से पुरुरवस् की उत्पत्ति हुई, जो ऐल कहलाया| ऐल बचपन से ही तेज और बहदुर था | कई गुणों से निपुण था और इसलिए वो चंद्रवंशियों का प्रथम शासक बना |
ऐल राजा की राजधानी प्रतिष्ठान थी, जहाँ आज प्रयाग के निकट झूँसी में बसी है। सूर्यवंशी क्षत्रियों का प्रारंभ उनके नौ पुत्रों के द्वारा ही हुआ था | इला का विवाह बुध से हुआ जो चंद्रमा का पुत्र थे | लेकिन पहले मैं ये बता दू की पुरुरवा के छ: (6) पुत्रों थे |
पुरुरवा के छ: पुत्रों में आयु और अमावसु अत्यंत प्रसिद्ध हुए अपने भाई ऐल की तरह| आयु प्रतिष्ठान का राजा बना और दूसरी तरफ अमावसु ने कान्यकुब्ज में एक नए राजवंश की स्थापना की जो की आअज भी पाए जाते हैं ।
कान्यकुब्ज के राजाओं में जह्वु प्रसिद्ध राजा हुए और अगर आप इतिहास देखते है तो पता चलता हैं की जह्वु के नाम पर गंगा का नाम जाह्नवी रखा गया था । विश्वरथ अथवा विश्वामित्र भी प्रसिद्ध राजा बने|
कुछ सालो के बाद वो वो तपस्वी बन गए और लोग उन्हें ब्रह्मर्षि की उपाधि दे दी | आयु के मरने के बाद उनका जेठ पुत्र नहुष उनका स्थान लिया और वो प्रतिष्ठान का शासक बने।
नहुष के छोटे भाई क्षत्रवृद्ध ने काशी में एक राज्य और राजवंश की स्थापना की। नहुष के भी छह पुत्रों में हुआ और छह पुत्रों में यति और ययाति प्रसिद्ध हुआ | जैसे जैसे समय बीतता गया सब कुछ बदलता गया जैसे की यति संन्यासी हो गए और जिसकी वजह से ययाति को राजगद्दी मिली राज्य की ।
ययाति शक्तिशाली और बहादुर लड़का ठये जसिकी वजह से वो विजेता सम्राट् बने तथा अनेक आनुश्रुतिक कथाओं का नायक और राजवंश की स्थापना की| उनसे पाँच पुत्र हुए |
- यदु,
- तुर्वसु,
- द्रुह्यु,
- अनु,
- पुरु।
इन पाँचों पुत्रो ने अपने अपने वंश चलाए और उनके वंशजों उनसे भी आगे बढे और अपने पूर्वजो का नाम और भी जयादा गौरवपूर्ण बनाया | हिन्दुस्तांन के बहार भी दूर दूर तक विजय कीं।
उनके वंशज आगे चलकर ये यादव, तुर्वसु, द्रुह्यु, आनव और पौरव कहलाए। ऋग्वेद में इन्हीं को पंचकृष्टय: भी बोला गया हैं | यादवों की एक शाखा और भी जिसे हम हैहय नाम से जानते हैं और ये दक्षिणापथ में नर्मदा के पास पाए जाते हैं |
हैहयों की राजधानी माहिष्मती बानी थी और बाद में ये अर्जुन के पास चला गया | हां वही कार्तवीर्य अर्जुन जो सर्वशक्तिमान् और विजेता राजा हुआ।
The Genealogical of Chandravanshi Lunar dynasty
- Brahma – ब्रह्मा
- Chandravansh – चन्द्रवंश
- Atriya -अटरिया
- Samudra – समुद्र
- Soma – सोम
- Brahaspati – बृहस्पति
The Genealogical of Suryavanshi
- Brahma -ब्रह्मा
- Suryavansh – सूर्यवंश
- Marichi – मारिची
- Kashyap – कश्यप
- Vaisuta Manu – वास्तु मनु
- Man Vantra – मन वंत्र
- Ikshwaku – इक्ष्वाकु
क्षत्रिय तीन प्रकार के होते हैं।
सबसे पहले बता दू की क्षत्रिय और राजपूत अलग हैं लेकिन दोनों में बहुत करीब का का सम्बन्ध हैं| राजपूत चन्द्रवंश का उपखण्ड हैं|
• अग्निवंशी (अग्नि से अवतरित)
• चंद्रवंशी (चंद्रमा (चंद्र) से अवतरित)
• सूर्यवंशी (सूर्य (सूर्य) से अवतरित)
सूर्यवंशी क्या है?
• सूर्यवंश – सूर्यवंश समाज वंश से संबंधित व्यक्ति है।
• रघुवंशी राजपूत सूर्यवंशी समाज का एक वंश है।
• चंद्रवंशी को रवानी चंद्रवंशी के नाम से भी जाना जाता है।
हिंदू संस्कृति में, गोत्र शब्द को आमतौर पर कबीले के विपरीत माना जाता है।
चंद्रवंशी – हिंदू भगवान चंद्रमा (चंद्र राजवंश)
रवानी-बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल, उ.प्र
• झाल
• जडेजा
• सरवैया
• जडेजा
• बाणापार
• पठानिया
• भाटी
• बुंदेला
• चंदेला
• चावड़ा
• दहिया
• कटोच
सूर्यवंशी राजपूत – हिंदू भगवान सूर्य (सौर वंश)
• सांगावत
• सारंगदेवोत
• कछवाहा → अलवर, अंबर, जयपुर
• कल्याणोत
• राजावत
• शेखावत
• बरगुजर – कश्मीर से गुजरात और महाराष्ट्र बरगुजर
• सिकरवार → मध्य प्रदेश
• जम्वाल – जम्मू और कश्मीर
• तोमर, तंवर, तुअर- उत्तरी भारत
• गुहिलोट → काठियावाड़
• सिसोदिया → मेवाड़
• राणावत
• चुंडावत
• जसरोटिया
• पुंडीर
• राठौर – मारवाड़, जंगलादेश, राजस्थान और मध्य प्रदेश
• चंपावत
• धंधुल भदेल (राठौर) जोधा
• खोखर
• कुम्पावत
• जैतवत
अग्निवंशी हिंदू भगवान अग्नि
• चौहान
• देवरा
• हाड़ा
• भदौरिया
• खिंची
• सोंगरा-गुज़रत
• सोलंकी
• बघेल
• परमार
• मोरी
• सोढ़ा
• सांखला
• प्रतिहार
• इंदा
https://www.youtube.com/watch?v=TsocVlt3Tbc
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, (Chandrawanshi) को क्षत्रिय वर्ण या योद्धा-शासक जाति के प्रमुख घरों में से एक है। इस पौराणिक राजवंश को चंद्रमा से संबंधित देवताओं (सोमा या चंद्रा) से सम्बोधित किया गया था।
शतपथ ब्राह्मण के अनुसार, राजवंश के संस्थापक पुरुरवस बुड्ढा के पुत्र (स्वयं को अक्सर सोमा के पुत्र के रूप में वर्णित किया गया था) और लिंग-परिवर्तन करने वाले देवता इल्या (मनु की पुत्री के रूप में जन्म)।
पुरुरवस के परपोते ययाति थे, जिनके यदु, तुर्वसु, द्रुह्यु, अनु और पुरु नामक पाँच पुत्र थे: ये वेदों में वर्णित पाँच इंडो-आर्यन जनजातियों के नाम प्रतीत होते हैं।
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महाभारत के अनुसार, राजवंश के पूर्वज इला ने प्रयाग से शासन किया था, और उनका एक बेटा शशबिन्दु था, जो बाहली देश में शासन करता था।इला के वंशजों को आइला या चंद्रवंश के नाम से भी जाना जाता था।
महाराजा अजमीढ़ चंद्रवंशी
मैढ़ क्षत्रिय स्वर्णकार समाज श्री महाराजा अजमीढ़जी को अपना पितृ-पुरुष (आदि पुरुष) मानती है।
ऐतिहासिक जानकारी जो विभिन्न रुपों में विभिन्न जगहों पर उपलब्ध हुई है उसके आधार पर मैढ़ क्षत्रिय अपनी वंशबेल को भगवान विष्णु से जुड़ा हुआ पाते हैं। कहा गया है कि भगवान विष्णु के नाभि-कमल से ब्रह्माजी की उत्पत्ति हुई।
ब्रह्माजी से अत्री और अत्रीजी की शुभ दृष्टि से चंद्र-सोम हुए। चंद्रवंश की 28वीं पीढ़ी में अजमीढ़जी पैदा हुए। महाराजा अजमीढ़जी का जन्म त्रेतायुग के अन्त में हुआ था।
मर्यादा पुरुषोत्तम के समकालीन ही नहीं अपितु उनके परम मित्र भी थे। उनके दादा महाराजा श्रीहस्ति थे जिन्होंने प्रसिद्ध हस्तिनापुर बसाया था। महाराजा हस्ति के पुत्र विकुंठन एवं दशाह राजकुमारी महारानी सुदेवा के गर्भ से महाराजा अजमीढ़जी का जन्म हुआ।
इनके अनेक भाईयों में से पुरुमीढ़ और द्विमीढ़ विशेष प्रसिद्ध हुए और दोनों पराक्रमी राजा थे। द्विमीढ़जी के वंश में मर्णान, कृतिमान, सत्य और धृति आदि प्रसिद्ध राजा हुए। पुरुमीढ़जी के कोई संतान नहीं हुई।
राजा हस्ती के येष्ठ पुत्र अजमीढ़ महान चक्रवर्ती राजा चन्द्रवंशी थे। महाराजा अजमीढ़ के दो रानियां सुयति व नलिनी थी। इनके गर्भ में बुध्ददिषु, ऋव, प्रियमेध व नील नामक पुत्र हुए। उनसे मैढ़ क्षत्रिय स्वर्णकार समाज का वंश आगे चला।
अजमीढ़ ने अजमेर नगर बसाकर मेवाड़ की नींव डाली। महान क्षत्रिय राजा होने के कारण अजमीढ़ धर्म-कर्म में विश्वास रखते थे।
वे सोने-चांदी के आभूषण, खिलौने व बर्तनों का निर्माण कर दान व उपहार स्वरुप सुपुत्रों को भेंट किया करते थे। वे उच्च कोटि के कलाकार थे। आभूषण बनाना उनका शौक था और यही शौक उनके बाद पीढ़ियों तक व्यवसाय के रुप में चलता आ रहा है।
समाज के सभी व्यक्ति इनको आदि पुरुष मानकर अश्विनी शुक्ल पूर्णिमा को अजमीढ़जी जयंती मनाते हैं।
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मुझे उम्मीद है कि इस चंद्रवंशी गाइड ने आपको दिखाया कि चंद्रवंशी इतिहास ( Chandravanshi Rawani History itihas) क्या है।
और अब मैं आपसे पूछना चाहता हूं।
क्या आपने चंद्रवंशी गाइड कुछ नया सीखा ?
या हो सकता है कि आपका कोई सवाल हो।
किसी भी तरह से, अभी नीचे एक टिप्पणी छोड़ दें।
मैं इस ब्लॉग में आपके उत्तर का उल्लेख करूंगा।
जय जरासंध 🙂
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Jai Jarasandh 🙂
सौगंध मुझे इस मिट्टी की, मैं चंद्रवंशी समाज नहीं मिटने दूंगा, मैं चंद्रवंशी सर नहीं झुकने दूंगा!
– निशांत चंद्रवंशी
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